आज, हम सभी किसान भाइयों को उनके खेत में उगने वाले पौधों को देखकर, पोषक तत्वों की कमी को पहचानने की कुछ जानकारी बताएंगे।
भारत के सभी खेतों में नाइट्रोजन की मात्रा लगभग उचित मात्रा में पाई जाती है, लेकिन फिर भी यूरिया पर सब्सिडी मिलने की वजह से इसका गलत इस्तेमाल होता है।
सभी किसान भाइयों को जान लेना होगा कि यदि आप के खेत में उगने वाले पौधे की पत्तियां आगे से नुकीली हो जाए और उनका रंग गहरा पीला हो जाए तो उस स्थिति में पौधे का आकार भी छोटा ही रह जाएगा, इस स्थिति में आप पहचान पाएंगे कि उस में नाइट्रोजन की कमी है।
यह बात ध्यान रखें कि की पत्तियों का रंग हरा हो जाए तो उस में सल्फर की कमी भी पाई जा सकती है और पत्तियों के बाहरी किनारे पीले शुरू हो जाते है।
मेंगनीज पोषक तत्व की कमी के दौरान पत्तियां पीली पड़ जाती है और कुछ समय तक उन्हें पर्याप्त उर्वरक नहीं मिलने पर टूट कर नीचे भी गिर सकती है।
जिंक और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों की कमी होने से पतियों का आकार बहुत छोटा रह जाता है और उनका रंग बहुत पीला हो जाता है, इस स्थिति से बचने के लिए किसान भाइयों को मैग्नीशियम और जिंक की पूर्ति करने वाले फर्टिलाइजर का इस्तेमाल करना चाहिए।
यदि आप के खेत की मिट्टी में फास्फोरस की कमी रहती है तो आपके पौधे का आकार बहुत ही छोटा दिखाई देगा और उसका रंग तांबे के जैसा हो जाता है, इसके अलावा उस पौधे का तना इतना कमजोर हो जाता है कि वह वजन भी सम्भाल नहीं पता और पत्तियां धीरे-धीरे नीचे गिरना शुरू हो जाती है।
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार कैल्शियम की कमी होने पर पौधे का ऊपरी सिरा धीरे धीरे सूखना शुरू कर देता है और कुछ ही समय में पत्तियां टूट जाती है, इसके अलावा जो नीचे की पत्तियां होती है कैल्शियम की कमी से सबसे ज्यादा प्रभावित होती है और उन्हें निकलने में ही अधिक समय लगता है।
यदि आप के खेत में मक्के की खेती की जा रही है, तो कैल्शियम की कमी से पौधे के नाले चिपक जाते हैं और उनसे मक्का बाहर ही नहीं निकल पाता है।
बोरोन जैसे कम इस्तेमाल होने वाले पोषक तत्व की कमी से भी पत्तियों का रंग पीला पड़ सकता है और उसकी कलियां सफेद या फिर भूरे रंग की दिखाई देती लगती है।
पूसा के वैज्ञानिकों के अनुसार आयरन की कमी होने पर पत्तियों की शिरा एकदम हरी हो जाती है और उसके कुछ समय बाद ही इनका रंग धीरे-धीरे पीला पड़ना शुरू हो जाता है, इन पत्तियों को ध्यान से देखने पर इनमें कोई धब्बा भी नजर नहीं आता है,जिससे कि पौधे की आगे की ग्रोथ पूरी तरीके से रुक सकती है और फिर पत्तियां धीरे-धीरे नीचे की तरफ झुकना शुरू हो जाती है।
आयरन की ही कमी होने से इन पत्तियों से एक चिपचिपा पदार्थ निकलने लगता है, जो कि इस पौधे के आसपास में उगने वाले दूसरे छोटे पौधों को भी प्रभावित कर सकता है।
यह बात सभी किसान भाइयों को ध्यान रखना होगा कि भारत की मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा पहले से ही पर्याप्त पाई जाती है, लेकिन कुछ मुख्य पोषक तत्वों की कमी की वजह से हमारी खेती की उत्पादकता कम मिलती है।
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आशा करते हैं, कि हमारे किसान भाइयों को इस जानकारी से पौधों को देखकर ही उस में होने वाले पोषक तत्वों की कमी का अंदाजा लगाया जाना आसान हो गया होगा। अब जिन सूक्ष्म तत्वों की कमी होगी, सिर्फ उन्हीं का ही इस्तेमाल खेत में करना पड़ेगा। इससे उर्वरकों पर होने वाले खर्चे भी काफी कम हो जाएंगे, साथ ही खेत की उपज बढ़ने के अलावा आपके मुनाफे में भी अच्छी वृद्धि हो सकेगी।
पौधों को मैक्रोन्युट्रिएंट्स की भरपूर मात्रा में आवश्यकता होती है और इसमें नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), पोटेशियम (K), कैल्शियम (CA), मैग्नीशियम (MG), और सल्फर (S) शम्मिलित हैं।
सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता कम मात्रा में होती है और इसमें आयरन (Fe), मैंगनीज (Mn), जिंक (Zn), तांबा (Cu), बोरान (B), मोलिब्डेनम (Mo), एवं क्लोरीन (Cl) शम्मिलित हैं।
पोषक तत्वों की कमी के लक्षणों को पहचानना
पोषक तत्वों की कमी सामान्यतः पौधों की पत्तियों, तनों एवं उनकी वृद्धि में उनके लक्षणों के आधार पर दिखाई देती है। बतादें, कि हम आपको कुछ सामान्य लक्षणों के आधार पर यह जानकारी देंगे कि किस प्रकार आप किसी पौधे में किस तत्व की कमी को पहचान पाऐंगे।
नाइट्रोजन (N) की कमी: पुरानी पत्तियों का पीला पड़ना (क्लोरोसिस) जो सिरों से शुरू होकर अंदर की तरफ फैलता है, विकास रुक जाता है।
ये भी पढ़ें: पौधे को देखकर पता लगाएं किस पोषक तत्व की है कमी, वैज्ञानिकों के नए निर्देशफास्फोरस (P) की कमी: लाल-बैंगनी रंग के साथ-साथ गहरे हरे पत्ते, पुरानी पत्तियां नीली-हरी अथवा भूरी हो सकती हैं और मुड़ सकती हैं।
पोटेशियम (K) की कमी: पत्तियों के किनारों और सिरों का पीला या भूरा होना, तने कमजोर होना।
आयरन (Fe) की कमी: नई पत्तियों पर इंटरवेनल क्लोरोसिस (नसों के बीच पीलापन), पत्तियां सफेद अथवा पीली हो सकती हैं।
मैग्नीशियम (Mg) की कमी: पुरानी पत्तियों पर इंटरवेनल क्लोरोसिस, पत्तियां लाल-बैंगनी अथवा मुड़ी हुई हो सकती हैं।
कैल्शियम (Ca) की कमी: नई पत्तियाँ विकृत हो सकती हैं और सिरे वापस मर सकते हैं, फलों में फूल के सिरे सड़ सकते हैं।
सल्फर (एस) की कमी: नई पत्तियों का पीला पड़ना, रुका हुआ विकास और बीज और फलों का उत्पादन कम होना।
सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी: यह सूक्ष्म पोषक तत्व के आधार पर अलग-अलग होते हैं। उदाहरण के लिए आयरन के अभाव से इंटरवेनल क्लोरोसिस दिखाई देता है। साथ ही, जिंक की कमी से पत्तियां छोटी और विकृत हो जाती हैं।
यदि आप इन लक्षणों को किसी भी पौधे में देखते हैं तो आप यह बेहद ही सुगमता से पहचान कर सकते हैं, कि उस पौधे में किस पोषक तत्व की कमी है। एक बार लक्षण का पता चल जाए तो आप उसके मुताबिक उसका उपचार बड़ी सुगमता से खोज सकते हैं।
फसल में बोरान के अभाव की वजह से वर्धनशील हिस्से के पास की पत्तियों का रंग पीला हो जाता है। इसके अतिरिक्त कलियां सफेद अथवा हल्के सफेद मृत ऊतक की भांति नजर आती है।
सल्फर/गंधक की कमी के कारण फसल की पत्तियां, शिराओं समेत, गहरे हरे से पीले रंग में तब्दील हो जाती हैं। इसके बाद में यह सफेद हो जाती हैं। गंधक की कमी की वजह से सर्वप्रथम नवीन पत्तियां प्रभावित होती हैं।
फसलों में मैगनीज की कमी के लक्षण
मैगनीज पोषक तत्व की कमी की वजह से पत्तियों का रंग पीला-घूसर अथवा लाल घूसर हो जाता है। वहीं, इसकी शिराएं हरी हो जाती हैं। पत्तियों के किनारे एवं शिराओं का मध्य हिस्सा हरितिमाहीन हो जाता है। हरितिमाहीन पत्तियां अपने सामान्य आकार में ही रह जाती हैं।
फसलों में जिंक/जस्ता की कमी के लक्षण
जिंक/जस्ता की कमी की वजह से सामान्य तौर पर पत्तियों के शिराओं के मध्य हरितिमाहीन के लक्षण नजर आते हैं। बतादें, कि पत्तियों का रंग कांसा की भांति हो जाता है।
फसल में यदि मैग्नीशियम की कमी हो जाए, तो पत्तियों के आगे के हिस्से का रंग गहरा हरा होकर शिराओं का बीच का हिस्सा सुनहरा पीला हो जाता है। आखिर में किनारे से अंदर की तरफ लाल-बैंगनी रंग के धब्बे बन जाते हैं।
फसलों में फास्फोरस की कमी के लक्षण
पौधों की पत्तियां फास्फोरस की कमी की वजह से छोटी रह जाती हैं। साथ ही, पौधो का रंग गुलाबी होकर गहरा हरा हो जाता है।
फसलों में कैल्शियम की कमी के लक्षण
कैल्शियम की कमी की वजह से सर्वप्रथम प्राथमिक पत्तियां प्रभावित होती हैं और विलंभ से निकलती हैं। साथ ही, शीर्ष कलियां बर्बाद हो जाती हैं। कैल्शियम की कमी के चलते मक्के की नोर्के चिपक जाती हैं।